सिरोही जिला एक नजर →
सिरोही जिले का कुल क्षेत्रफल – 5,136 वर्ग किलोमीटर
नगरीय क्षेत्रफल – 69.32 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 5,066.68 वर्ग किलोमीटर है।
सिरोही जिले की मानचित्र स्थिति – 24°15′ से 27°17′ उत्तरी अक्षांश तथा 72°16′ से 73°10′ पूर्वी देशान्तर है।
प्राचीन काल में सिरोही को ”अर्बुद प्रदेश” प्रदेश के नाम से जाना जाता था।
सिरोही जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 3 है, जो निम्न है —
1. सिरोही, 2. पिण्डवाडा-आबू तथा 3. रेवदर
उपखण्डों की संख्या – 3
तहसीलों की संख्या – 5
पंचायत समितियों की संख्या – 5
ग्राम पंचायतों की संख्या – 151
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सिरोही जिले की जनसंख्या के आंकड़ें निम्नानुसार है —
कुल जनसंख्या—10,36,346
पुरुष—5,34,231; स्त्री—5,02,115
दशकीय वृद्धि दर—21.8%; लिंगानुपात—940
जनसंख्या घनत्व—202; साक्षरता दर—55.3%
पुरुष साक्षरता—70%; महिला साक्षरता—48%
सिरोही जिले का जनसंख्या घनत्व राजस्थान राज्य के जनसंख्या घनत्व के लगभग बराबर है।
सिरोही जिले में कुल पशुधन – 9,01,191 (LIVESTOCK CENSUS 2012)
सिरोही जिले का ऐतिहासिक विवरण —
सिरोही राजस्थान का पर्वतीय एवं सीमावर्ती जिला है। सुप्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टॉड के अनुसार सिरोही नगर का मूल नाम शिवपुरी था। राजस्थान प्रदेश का एकमात्र पर्वतीय स्थल माउन्ट आबू इसी जिले में है। माउन्ट आबू भारत का प्राचीनतम पर्वत है। यह क्षेत्र मौर्य, क्षत्रप, हूण, परमार, राठौड़, चौहान, गुहिल आदि शासकों के अधीन रहा। प्राचीन काल में यह क्षेत्र अर्बुद प्रदेश के नाम से जाना जाता था और गुर्जर प्रदेश का ही भाग था।
सिरोही में चौहानों की देवड़ा शाखा की स्थापना 1311 ई. में लुम्बा ने की। देवड़ा राजा रायमल के पुत्र शिवभान ने सरणवा पहाड़ों पर एक दुर्ग की स्थापना की और 1405 ईस्वी में ”शिवपुरी नगर” बसाया।
राजा शिवभान के पुत्र सहसमल ने शिवपुरी से दो मील आगे 1425 ई. में एक नया नगर बसाया जिसे आजकल सिरोही के नाम से जाना जाता है। सिरोही की राजधानी चन्द्रावती थी। सिरोही के शासक शिवसिंह ने 1823 ई. में ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सहायक संधि की।
आजादी के बाद जब राजस्थान प्रान्त का निर्माण हुआ तो सन् 1949 में तत्कालीन सिरोही रियासत का राजस्थान में विलय हुआ तो आबूरोड़ तहसील को गुजरात में मिला दिया गया। राज्यों के पुनर्गठन के समय 1956 में आबूरोड़ तहसील को सिरोही जिले के अन्तर्गत स्थानान्तरित कर दिया। तभी से सिरोही राजस्थान के जोधपुर संभाग का एक जिला है।
सिरोही जिले में अरावली पर्वत शृंखला की विशेषता —
अरावली पर्वत शृंखला का राजस्थान में प्रवेश खेड़ा ब्रह्मा (सिरोही) जिले से होता है तथा खेतड़ी, झुन्झुनू तक विस्तृत है। आगे यह पर्वत शृंखला दिल्ली तक विस्तृत है।
गुरु शिखर—हिमालय के माउण्ट एवरेस्ट व नीलगिरी पर्वत के मध्य स्थित सबसे ऊँची पर्वत चोटी गुरु शिखर ही, जो अरावली पर्वत शृंखला में स्थित है।
गुरुशिखर की ऊँचाई-1722 मीटर। इस चोटी के ऊपर ‘दत्तात्रेय ऋषि’ का (5 मीटर ऊँचा) मन्दिर बना हुआ है। अगर इस मन्दिर की ऊँचाई जोड़ी जाए तो गुरुशिखर की ऊँचाई 1727 मीटर हो जाती है। इसे सन्तों का शिखर ”कर्नल जेम्स टॉड” ने कहा है।
अरावली पर्वत शृंखला की पांच सबसे ऊँची चोटियाँ निम्न है —
अरावली की सबसे ऊँची पर्वत चोटी—गुरुशिखर, सिरोही में 1722 मीटर
अरावली की दूसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी—सेर, सिरोही में 1597 मीटर
अरावली की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी— दिलवाड़ा, सिरोही में 1442 मीटर
अरावली की चौथी ऊँची चोटी—जरगा, उदयपुर में 1431 मीटर
अरावली की पाँचवीं ऊँची चोटी—अचलगढ़, सिरोही में 1380 मीटर
सिरोही जिले की प्रमुख नदियाँ—
पश्चिमी बनास नदी—पश्चिमी बनास नदी का उद्गम सिरोही जिले की अरावली की पहाडिय़ों में स्थित नयासानवारा गाँव से होता है। ‘माउण्ट आबू’ इसी नदी के समीप बसा हुआ है। राजस्थान की सबसे शीतल नदी यही है। राजस्थान से निकलकर गुजरात में बहते हुए यह नदी कच्छ के रण (कच्छ की खाड़ी, लिटिलरन) में विलीन हो जाती है। गुजरात का दीसा शहर पश्चिमी बनास के किनारे बसा हुआ है।
सूकली नदी—सिरोही जिले में सिलोरा गाँव की पहाड़ियों (सलवाड़ा की पहाड़ियों) से सूकली नदी का उद्गम होता है। इसे ‘सीपू नदी’ भी कहते हैं। इस नदी पर सेलवाड़ा बाँध परियोजना है। सूकली नदी, पश्चिमी बनास नदी की सहायक नदी है।
नक्की झील—नक्की झील सिरोही में माउण्ट आबू में स्थित है। प्राचीन मान्यता है कि इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदकर किया, इसलिए इसे नक्की झील कहते हैं। यह राजस्थान की सबसे ऊँची (1200 मीटर), सबसे गहरी एवम् सर्दियों में जमने वाली एकमात्र झील है।
नक्की झील के समीप तीन चट्टाने निम्न है-
1. टॉड रॉक—मेंढ़क के आकार की।
2. नन रॉक—घूंघट निकाले हुए स्त्री के समान।
3. नन्दी रॉक—साण्ड जैसे आकार की।
इस झील के समीप हनीमून पॉइन्ट, हाथी गुफा एवम् रघुनाथ जी की गुफा है। गरासिया जाति के लोग इस झील में अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन करते है।राज्य में एकमात्र हिल स्टेशन नक्की झील (माउण्ट आबू) पर स्थित है।
पश्चिमी बनास सिंचाई परियोजना—स्वरूप गंज पिंडवाड़ा, (सिरोही)
यह परियोजना बनास नदी पर है। इसका निर्माण 1958-59 में हुआ। यह सिरोही की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है।
राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउण्ट आबू है। अत: माउण्ट आबू को राजस्थान का मॉसिनराम कहते हैं।
दूध बावड़ी— अर्बुदा देवी के मंदिर की तलहटी में दूध बावड़ी नामक ऐतिहासिक स्थल भी है। जिसके संबंध में कहा जाता है कि प्राचीनकाल में यह बावड़ी दूध से भरी रहती थी और ऋषि उसका उपयोग करते थे। यह किंवदन्ति है कि इसमें दूध के समान जल-धारा रहने के कारण इसे दूध बावड़ी कहते हैं।
सिरोही जिले के वन्य जीव अभयारण—
आबू अभयारण— आबू अभयारण्य की स्थापना-1960 में की गई। यह अभयारण जंगली मुर्गों एवम् सबसे सुन्दर छिपकली युब्लेफेरिस के लिए प्रसिद्ध है। यह अभयारण औषधियों के पादपों हेतु विश्व विख्यात है। वर्तमान में इसे अभयारणों की सूची से बाहर कर इको सेन्सेटिव जॉन घोषित किया है।
सिरोही जिले के ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल —
अचलगढ़/आबू दुर्ग—अचलगढ़ दुर्ग का निर्माण परमार शासकों ने करवाया। इसका पुनर्निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1452 ई. में करवाया। यह राजस्थान का सबसे ऊँचाई पर स्थित दुर्ग है। इसमें अचलेश्वर महादेव का मन्दिर है, जिसके पास मन्दाकिनी कुण्ड है। अचलगढ़ दुर्ग में ओखा रानी का मालिया, अनाज के कोटे, कपूरसागर तालाब, सावन-भादों झील एवम् सावन (कुम्भा) भादों (उदा) की मूर्तियां स्थित है।
ध्यान रहे—सावन भादों की कड़ाईयाँ-करणी माँ मन्दिर देशनोक (बीकानेर), सावन भादो महल-डीग (भरतपुर), सावन भादो नहर-कोटा तथा सावन भादो झरना – जोधपुर में स्थित है।
बसन्तगढ़—यह पिण्डवाड़ा, सिरोही में स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण कुम्भा ने करवाया।
अर्बुदा देवी या अधर देवी—माउण्ट आबू, राजस्थान में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित माता है, इसलिए इसे राजस्थान की वैष्णो देवी भी कहते हैं।
भूरिया बाबा/गौतमेश्वर—शौर्य का प्रतीक। मीणाओं के ईष्टदेव (मीणा भूरिया बाबा की झूठी कसम नहीं खाते हैं)
गौड़वाड़ के मीणाओं के प्रमुख स्थल—पोसालिया (सिरोही)—सूकड़ी नदी (पतित गंगा) के किनारे भूरिया बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है।
भूरिया बाबा के मेले में मीणा—जाति के लोग दुल्हन चुनते हैं। यह मन्दिर दिल्ली-अहमदाबाद रेलमार्ग पर स्थित है।
बाजणा गणेश—यह मंदिर सिरोही जिले में है।इस मन्दिर के पास एक झरना बहता है।
दतात्रेय का मंदिर—माउण्ट आबू (सिरोही)। यह मंदिर गुरु शिखर पर्वत चोटी पर है, इसकी ऊँचाई 5 मीटर है, जिसके कारण गुरु शिखर पर्वत चोटी की ऊँचाई 5 मीटर बढ़ जाती है एवम् 1722 की जगह 1727 हो जाती है। यह मन्दिर विष्णु को समर्पित है।
सारणेश्वर मंदिर—यह मंदिर देवड़ा राजकुल का है। यहाँ पर एक दूधिया तालाब है जिसके समीप सिरोही राजघराने की छतरियाँ है। यहाँ पर मेला-भाद्रपद शुक्ल 4 से 10 (चतुर्थी से दशमी) तक लगता है।
शिव मंदिर—कुसुमा (सिरोही)।
अचलेश्वर महादेव मंदिर—यहाँ पर शिवलिंग के स्थान पर एक खड्डा है जो ब्रह्मखड्डा कहलाता है। इसे शिव के पैर का अंगूठा मानते है। इस मंदिर में महमूद बेगड़ा द्वारा खण्डित शिव प्रिया पार्वती की प्रतिमा है। अचलेश्वर महादेव परमारवंशीय शासकों के कुलदेवता थे। भंवराथल नामक स्थान इसी मंदिर में है।
वशिष्ट मुनि का मंदिर—बसन्तगढ़ दुर्ग, (आबू पर्वत)। यहाँ पर अग्निकुण्ड है ऐसी मान्यता है कि इसी अग्निकुड से राजपूत जातियों की उत्पत्ति हुई थी।
दिलवाड़ा के जैन मंदिर—माउण्ट आबू (सिरोही) यहाँ पर पाँच मन्दिरों का समूह है, जो निम्न—
(1) आदिनाथ जैन मंदिर या विमलवसहि जैन मन्दिर—इस मन्दिर का निर्माण 1031 ई. में चालुक्य शासक भीम द्वितीय के मन्त्री विमलशाह ने करवाया। इस मन्दिर का शिल्पी कीर्तिधर था। इस मन्दिर में सभा के आगे निज मन्दिर है। जिसकी ऊँची वेदी पर सप्तधातु निर्मित आदिनाथ की प्रतिमा है। जिसमें हीरों की आँखें हैं जो स्वयं प्रकाशमान होती है।
टॉड का कथन—”भारतवर्ष में ताजमहल के पश्चात् यदि कोई भी मन्दिर हैं तो वह विमलवसहि का मन्दिर हैं।”
(2) नेमीनाथ मंदिर या देवरानी जेठानी का मन्दिर—इस मन्दिर को लूणवसहि मन्दिर भी कहते हैं। इसका निर्माण 1230 ई. में चालुक्य शासक वीरधवल के मन्त्री वास्तुपाल व तेजपाल के द्वारा करवाया गया। इस मन्दिर में नेमीनाथ की ‘काले पत्थर’ की प्रतिमा है। इसका शिल्पकार शोमनदेव था।
(3) पितलहार या भीमशाह का मन्दिर—इस मन्दिर में आदिनाथ की 108 मन की पीतल की प्रतिमा है। इसका निर्माण 15वीं सदी में भीमशाह ने करवाया।
(4) खरतरवसही मन्दिर या पार्श्वनाथ जैन मन्दिर—यह तीन मंजिला मंदिर है। इसे सिलावटों का मन्दिर भी कहते हैं।
(5) महावीर स्वामी का मन्दिर—आबू (सिरोही) में स्थित है।
भगवान कुंथुनाथ का जैन मंदिर—देलवाड़ा, सिरोही में स्थित है। इस मन्दिर के पास जिनदत सूरी की छतरी है।
सीमल माता या खीमल माता—बसन्तगढ़ (सिरोही)।
राजस्थान शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख या लिखित प्रमाण खीमल माता का मंदिर (बसंतगढ़, सिरोही) पर उत्कीर्ण शिलालेख में ‘राजस्थानादित्यं’ के रूप में मिलता है यह शिलालेख विक्रम संवत् 682 का है।
गौतमी मेला—शिवगंज की चोटिला पहाड़ी पर चैत्र सुदी त्रयोदशी (तेरस, 13) को लगता है। इसमें भील, मीणा जाति के लोग शामिल होते हैं।
शिवगंज में सैयद बादशाह की दरगाह है।
सिरोही जिले के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य—
राजस्थान का एकमात्र नगर जो 1300 मीटर ऊँचाई पर बसा हुआ है।
राजस्थान की प्रथम नगर पालिका—माउण्ट आबू, इसकी स्थापना 1864 में की गई थी।
राज्य का सर्वाधिक आर्द्र स्थान-माउण्ट आबू।
सेव की खेती राज्य में सर्वप्रथम माउण्ट आबू में प्रारम्भ हुई।
देश का सबसे बड़ा रसोईघर-माउण्ट आबू के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शान्तिवन कैम्पस में है।
विश्व हृदय सम्मेलन 28-30 सितम्बर 2007 को माऊण्ट आबू में सम्पन्न हुआ।
माउण्ट आबू में देश का सबसे बड़ा फिश एक्वेरियम अवस्थित है।
ग्रीष्म महोत्सव—जून में एवं शरद महोत्सव दिसम्बर में माउण्ट आबू में आयोजित होता है।
डिकिल पटेरा आबू एन्सिस पादप—विश्व में एकमात्र आबू पर्वत में ही मिलते हैं।
न्यूनतम सहकारी समितियाँ—सिरोही जिले में है।
सिरोही जिले की पहाडिय़ाँ भाकर कहलाती है।
माउण्ट आबू को राजस्थान का शिमला, राजस्थान का बर्खोयान्सक कहते हैं।
राजस्थान एकीकरण के दौरान सबसे अन्त में सिरोही रियासत शामिल हुई।
सिरोही के वाल्दा एवम् आबू रेवदर क्षेत्रों से टंगस्टन प्राप्त हुआ है।
कुंवारी कन्या का मन्दिर—दिलवाड़ा।
वालर नृत्य—गरासिया आदिवासियों द्वारा बिना किसी वाद्य यंत्र के किया जाने वाला नृत्य है, जो सिरोही व आबू क्षेत्र में लोकप्रिय है।
सिरोही जिले में चम्पा बावड़ी का निर्माण चम्पा कंवर ने कराया था।
मेघवालों की रम्मत सिरोही में रावलियों द्वारा खेली जाती है।
केमिलोन—भारत के अधिकतर क्षेत्रों से विलुप्त हो चुका गिरगिट प्रजाति का यह जंतु जून, 2006 में माउंट आबू (सिरोही) के पर्वतों में देखा गया। केमिलोन नामक इस जन्तु को स्थानीय भाषा में ‘हालाडूला या गिरडा’ कहते है जिसका अर्थ होता है ‘आलसी की तरह’।
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